भाषा का अर्थ और प्रकृति | Meaning and nature of language

Meaning of language 

भाषा का अर्थ Meaning of language

भाषा अभिव्यक्ति एवं विचार विनिमय का सांकेतिक साधन है। संसार के सभी प्राणी किसी न किसी रूप में अपने भावों की अभिव्यक्ति करते हैं जिसका माध्यम शाब्दिक और अशाब्दिक रूप में सामने आता है।

मनुष्य की अनुभूतियों को शाब्दिक भाषा से अभिव्यक्त करना संभव नहीं है

उसकी अभिव्यक्ति के लिए मूक भाषा का या अशाब्दिक भाषा का ही प्रयोग किया जा सकता है, जबकि अधिक दुखी व्यक्ति अपनी वेदना की अभिव्यक्ति आंसुओं के द्वारा ही कर पाता है।

शाब्दिक भाषा में-मनुष्य बोलकर, कुत्ते भो-भॊ कर के, हाथी चिंघाडकर, बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करके और

चूहे चू-चू करके अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं।

व्यापक अर्थ में देखा जाए तो संसार के विभिन्न प्राणियों द्वारा प्रयुक्त भावाभिव्यक्ति के इन साधनो, अंग-प्रत्यंग के संचालन,भाव मुद्राओं और ध्वनि संकेतों को भाषा कहते हैं।

विचारों की अभिव्यक्ति ही भाषा है।

भाषा का अर्थ Meaning of languageभाषा की परिभाषाएं Language definitions-

भाषा की परिभाषा के विषय में विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए हैं संसार में वर्षा की व्याख्या सर्वप्रथम संस्कृत आचार्यों ने की है।
पतंजलि के अनुसार “भाषा वह व्यापार है जिससे वर्णनात्मक या व्यक्ति शब्दों द्वारा अपने विचारों को प्रकट करते हैं।”
काव्यादर्श के अनुसार” यदि शब्द रूपी ज्योतिष से यह संसार प्रदीप्त होता तब यह समस्त संसार अंधकार में हो जाता।”
तिवारी के अनुसार-“भाषा सुनिश्चित प्रयत्न के फलस्वरुप मनुष्य के मुख या वाणी से नि:सर्त वह सार्थक ध्वनि समष्टि है जिसका विश्लेषण और अध्ययन किया जाता।”
सुकुमार सेन के अनुसारअर्थवान कंठोधिर्णं ध्वनि समष्टि ही भाषा है।”
क्रौंच के अनुसारभाषा अभिव्यक्ति की दृष्टि से उच्चरित एवं सीमित ध्वनियों का संगठन है।”

परिभाषा निष्कर्ष के रूप में--भाषा यादृच्छिक वाक् प्रतीकों कि वह व्यवस्था है जिसके माध्यम से समाज के लोग परस्पर अपने विचारों का आदान- प्रदान करते हैं।” भाषा का अर्थ Meaning of language


भाषा की प्रकृति Nature of language-

भाषा की प्रकृति निम्न प्रकार से हैं

1.भाषा पैतृक संपत्ति है Language is ancestral property-

भाषा पैतृक संपत्ति है। पिता की भाषा पुत्र को पैतृक संपत्ति की भांति ही प्राप्त होती है किंतु, ऐसी बात नहीं है

यदि किसी भारतीय बच्चे को 1- 2 वर्ष की अवस्था से अन्य देश में पाला जाए तो वह हिंदी या हिंदुस्तानी आदि भाषा न समझ सकेगा और ना ही बोल सकेगा।

उस देश की ही उसकी मातृभाषा या अपनी भाषा होगी।

यदि पैतृक भाषा संपत्ति होती तो भारतीय बालक भारत से बाहर कहीं भी रहकर बिना प्रयास के हिंदी भाषा समझ और बोल लेता।

2. भाषा अर्जित संपत्ति है Language acquired property-

मानव अपने चारों और के समाज और वातावरण से भाषा सीखता है।

भारत में उत्पन्न बालक इंग्लैंड में रहकर इसलिए अंग्रेजी बोलने लगता है क्योंकि, उसके चारों और अंग्रेजी का वातावरण रहता है।

अतः स्पष्ट है कि भाषा आसपास के लोगों से अर्जित की जाती है और इसलिए यह अर्जित संपत्ति होती है।

3. भाषा सामाजिक वस्तु है Language is social object-

भाषा पूर्णता आदि से अंत तक समाज से संबंधित है। उसका विकास समाज में ही होता है। प्रश्न है कि व्यक्ति भाषा का अर्जन कहां से करता है?  इसका एक मात्र उत्तर है- समाज से । इसलिए समाज एक सामाजिक संस्था है।

4. भाषा परंपरा है व्यक्ति उसका अर्जन कर सकता है उत्पन्न नहीं-

भाषा परंपरागत वस्तु है। व्यक्ति उसका अर्जन परंपरा और समाज से करता है।

एक व्यक्ति उसमें परिवर्तन तो कर सकता है किंतु उसे उत्पन्न नहीं कर सकता आता है।

समाज और परंपरा ही भाषा के जनक और जननी है। भाषा का अर्थ Meaning of language

5. भाषा का अर्जन अनुकरण द्वारा होता है-

भाषा को हम अनुकरण द्वारा सीखते हैं शिशु के समक्ष मां जो कहती है।

बालक उसे सुनता है और धीरे-धीरे उसे स्वयं सीखने का प्रयास करता है। अरस्तु के शब्दों में- अनुकरण मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। भाषा का अर्थ Meaning of language

6. भाषा चिर परिवर्तनशील है Language is changing-

भाषा के दो रूप होते हैं मौखिक और लिखित।

भाषा के दो आधार होते हैं शारीरिक और मानसिक।
अनुकरण करता की शारीरिक और मानसिक परिस्थिति सदैव ठीक वैसी ही नहीं रहती जैसे कि उसकी रहती है इसका अनुसरण किया जाता है

इसके अतिरिक्त प्रयोग से घिसने और बाहरी प्रभाव से भी परिवर्तन होता है अतः भाषा परिवर्तित होती रहती है।

7.भाषा का कोई अंतिम स्वरूप नहीं – भाषा का अर्थ Meaning of language

ऊपर हम कह चुके हैं की भाषा चिर परिवर्तनशील है।
उसे आधार पर दो भाषा का कोई अंतिम स्वरूप ही नहीं हो सकता अमृत वर्षा का अंतिम रूप तो अवश्य ही अंतिम होता है
परंतु जीवित भाषा में यह बात नहीं है।

भाषा के विषय में असत्य नहीं है कि परिवर्तन और अस्थैर्य ही उसके जीवन का घोतक है।

8. सभी भाषाओं की एक भौगोलिक सीमा होती है।
9. प्रत्येक भाषा की एक ऐतिहासिक सीमा होती है।

10. प्रत्येक भाषा की अपनी संरचना अलग होती है- दो भाषाओं का स्वरूप या ढांचा एक सा नहीं होता हो सकता।
उसमें ध्वनि,शब्द, रूप, वाक्य या अर्थ आदि किसी भी एक स्तर पर अंतर अवश्य होता है।

11. आशा की धारा संभवत कठिनता से सफलता की ओर जाती है –
सभी भाषाओं के इतिहास से भाषा के कठिनता से सरलता की ओर जाने की बात स्पष्ट है।
तर्क है कि मनुष्य का जन्म जात स्वभाव है कि कम से कम प्रयास में

अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहता है।

12. प्रत्येक भाषा का स्पष्टत या अस्पष्टत एक मानक रूप होता है। भाषा का अर्थ Meaning of language

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